दिल्ली उच्च न्यायालय ने नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक दो हफ्ते में दिल्ली स्थिति परिसर को खाली करने का आदेश दिया
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नई दिल्ली में ITO परिसर को खाली करने के लिए 56 वर्षीय पट्टे को समाप्त करने के केंद्र के आदेश को चुनौती दी थी।न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने AJL को दो हफ्ते के अंदर में परिसर खाली करने का निर्देश दिया। अगर ऐसा नही होता है हेराल्ड हाउस के खिलाफ सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जे का सबूत) कार्यवाही शुरू की जाएगी।
The Delhi High Court dismisses plea of Associated Journals Ltd, publisher of National Herald, which has challenged Centre's order ending its 56-year-old lease asking it to vacate the premises at ITO @IndianExpress
— Pritam Pal Singh (@Singh2Pritam) 21 December 2018
यह कुछ समय के लिए आदेश के संचालन को बनाए रखने के लिए AJL के वकील के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। अदालत ने 30 अक्टूबर को जारी सरकार के नोटिस के खिलाफ AJL की याचिका पर आदेश पारित किया।
साप्ताहिक समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड ऑन संडे पिछले साल 24 सितंबर को फिर से शुरू हुआ था और प्रकाशन का स्थान ITO परिसर था। AJL ने कहा था कि हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र “नवजीवन’’ भी इसी परिसर से इस साल अक्टूबर से प्रकाशित हो रहा है। शहरी विकास मंत्रालय जिसने AJL के 56 वर्षीय पट्टे को समाप्त कर दिया और आदेश में 15 नवंबर तक प्रकाशकों को ITO परिसर खाली करने के लिए कहा गया। प्रकाशकों ने 30 नवंबर के आदेश को चुनौती देते हुए 12 नवंबर को अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अदालत ने 15 नवंबर को सरकार से 30 अक्टूबर के आदेश को लागू करने के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा था और याचिका पर अपना फैसला 22 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।
केंद्र ने AJL को इस आधार पर नोटिस जारी किया था कि “पिछले 10 वर्षों से परिसर में कोई प्रेस कार्य नहीं चल रहा है।’’ सरकार ने परिसर के “दुरुपयोग’’ का भी आरोप लगाया। AJL के शेयरों को यंग इंडिया में बिना पट्टेदार की अनुमति के हस्तांतरित करना पट्टे में दिए गए नियम का उल्लंघन है।
नेशनल हेराल्ड के लिए मामले की पैरवी करने वाले एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि “वित्तीय कठिनाइयों’’ के कारण थोड़े समय के अंतराल के बाद अखबार ने परिसर से प्रकाशित करना जारी रखा है। नियम के “उल्लंघन’’ पर यंग इंडियन को परिसर के हस्तांतरण का आरोप तब लगा यंग इंडियन AJL का शेयरधारक बन गया। सिंघवी ने कहा कि शेयर होल्डिंग में बदलाव से संपत्ति का हस्तांतरण नहीं होता है। परिसर के "दुरुपयोग’’ के बारे में सिंघवी ने तर्क दिया कि एक 84 फीट फोटोकॉपी की दुकान के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही एक दशक से सिविल कोर्ट में चल रही है।
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